Health Desk. मौसम में वायरस तथा बैक्टीरिया जनित संक्रमण तथा रोग परेशान करते हैं. इसलिए बारिश के मौसम को बीमारियों का मौसम भी कहा जाता है. इस मौसम में सर्दी-जुकाम, फ्लू, पेट में संक्रमण, त्वचा रोग तथा विभिन्न प्रकार की एलर्जी सहित कानों में संक्रमण काफी ज्यादा आते हैं. डॉ सुबीर जैन बताते हैं कि, बरसात के मौसम में वातावरण में नमी काफी ज्यादा बढ़ जाती है. कान के संक्रमण में ऑटोमायकोसिस संक्रमण आम होता है. जिसके लिए दो कारणों को जिम्मेदार माना जाता है.
सेरुमेन (Cerumen) समस्या –
डॉ सुबीर जैन बताते हैं कि, कान का मैल या वैक्स, जिसे सेरुमेन भी कहा जाता है, जिम्मेदार हो सकता है. सेरुमेन हमारे कान में मौजूद ग्लैंड्स में बनती है. कुछ लोगों के कान में यह पतली अवस्था में रहती है तो कुछ में हल्की सख्त। वैसे तो सेरुमेन कानों के लिए प्राकृतिक सुरक्षा का कार्य करती है, बाहरी धूल और बैक्टीरिया को कान के भीतरी हिस्सों में जाने से बचाती है. लेकिन आमतौर पर बारिश के मौसम में जब वातावरण में नमी बढ़ जाती है तो यह कई बार नमी को सोखने लगती है और फूल जाती है. जिससे कान की नली में बाधा उत्पन्न होने लगती है. इसके कारण कई बार कान के बंद होने तथा उसमें दर्द या खुजली होने या उनमें संक्रमण होने की आशंका भी बढ़ जाती है.
कान में क्या नहीं करना चाहिए
बालों की चिमटी, माचिस की तीली तथा अन्य चीजों से कान का मैल साफ करने से कानों की अंदरूनी त्वचा , यहाँ तक की कान के परदे पर भी चोट लग सकती है, वहीं माचिस की तीली पर लगा मसाला कान में जाने के बाद नमी के कारण फफूंद या फंगस के होने का कारण बन सकता है.
कान को साफ करने के लिए ईयर बड भी सुरक्षित उपाय नहीं है क्योंकि आमतौर पर इसका इस्तेमाल करने से कान का अधिकांश वैक्स बाहर आने की बजाय कान में ज्यादा अंदर चला जाता है. जो कई बार ना सिर्फ संक्रमण या किसी प्रकार की समस्या का कारण बन सकता है बल्कि कान के पर्दे को भी नुकसान पहुंचा सकता है.