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अब Bhojpuri Cinema में अपनी किस्मत आजमाएंगे आर्य बब्बर, खेसारी लाल यादव की फिल्म में बने Villain

मुंबई (महाराष्ट्र). हिंदी, पंजाबी और बंगाली फिल्मों में, काम कर चुके अभिनेता- राजनेता राज बब्बर के बेटे आर्य बब्बर अब भोजपुरी सिनेमा में अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं। अभिनेता आर्य बब्बर इन दिनों उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में, भोजपुरी फिल्म ‘राजाराम’ की शूटिंग कर रहे हैं। इस फिल्म में, आर्य बब्बर विलेन की भूमिका में निभा रहे हैं।

विलेन की भूमिका निभा रहे आर्य बब्बर

भोजपुरी फिल्म ‘राजाराम’ में, विलेन की भूमिका निभा रहे आर्य बब्बर कहते हैं, ‘मुझे क्षेत्रीय सिनेमा में काम करने से कभी भी परहेज नहीं रहा। जहां भी मुझे अच्छे मौके मिले, मैंने काम किया चाहे पंजाबी फिल्में हो या फिर बंगाली फिल्में। जब मुझे निर्देशक पराग पाटिल ने भोजपुरी फिल्म ‘राजाराम’ ऑफर की, तो मुझे मेरा किरदार काफी चैलेंजिंग लगा। अब भोजपुरी फिल्में भी बड़ी भव्य स्तर पर बन रही। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान, काम करके बहुत ही आनंदित हूं।’

फिल्म में मेरी भूमिका बेहद चुनौतीपूर्ण 

अभिनेता आर्य बब्बर कहते हैं, ‘इस फिल्म में मेरी भूमिका बेहद चुनौतीपूर्ण है। मेरी पूरी कोशिश है कि, इस किरदार को जीवंत करने में अपना सौ फीसदी दूं। मुझे उम्मीद है कि, जब यह फिल्म रिलीज होगी तो दर्शक मेरे किरदार को जरूर पसंद करेंगे। फिल्म में खेसारी लाल यादव के साथ काम करने बहुत ही अच्छा अनुभव रहा है, वह भोजपुरी में डायलॉग बोलने में मेरी बहुत मदद करते हैं।’

फिल्म ‘गुरु’ से फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं करने लगे

अभिनेता आर्य बब्बर ने, अपने अभिनय करियर की शुरुआत साल 2002 में रिलीज फिल्म ‘अब के बरस’ से हीरो के रूप में की । राज कंवर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आर्य बब्बर के साथ, अमृता राव की लीड भूमिका थी। इस फिल्म के बाद आर्य बब्बर ने ‘मुद्दा -द इश्यू’, ‘थोड़ा तुम बदलो थोड़ा हम’ जैसी फिल्मों में बतौर हीरो नजर आए, लेकिन जब हीरो के रूप में वह सफल नहीं हुए, तो मणि रत्नम की फिल्म ‘गुरु’ से फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं करने लगे।

फिल्में किसी भी भाषा की हो, बस उसमे किरदार दमदार होने चाहिए

अभिनेता आर्य बब्बर ने चरित्र भूमिकाओं में, कई फिल्में की लेकिन असल मायने में उनकी पहचान सलमान खान की फिल्म ‘रेड्डी’ से मिली। आर्य बब्बर ने ‘विरसा’, ‘यार अनमुल्ले’ जैसी कई पंजाबी फिल्मों में बतौर हीरो भी काम कर चुके हैं, लेकिन पंजाबी सिनेमा भी उन्हें जिस तरह की सफलता मिलनी चाहिए नहीं मिली। अब वह क्षेत्रीय सिनेमा में खुद को स्थापित करने में लगे हैं। आर्य बब्बर का मानना है कि- फिल्में किसी भी भाषा की हो, बस उसमे किरदार दमदार होने चाहिए।

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