लखनऊ (उत्तर प्रदेश). खाद्य पदार्थों समेत तमाम वस्तुओं को, हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली कंपनियों के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकी संगठनों को टेरर फंडिंग करने की जांच, यूपी STF को सौंप दी गयी है। शासन ने बीती 17 नवंबर को राजधानी की हजरतगंज कोतवाली में, दर्ज मुकदमे की विवेचना STF से कराने का निर्णय लिया है।
जांच STF से कराने का निर्णय
उच्च पदस्थ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। इस मामले में 3 कंपनियों समेत देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों और दंगे भड़काने की साजिश करने वाले, अज्ञात लोगों को नामजद किया गया था। हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद, शासन द्वारा इस पूरे मामले की जांच किसी विशेषज्ञ एजेंसी से कराने पर मंथन किया जा रहा था। सोमवार को इसकी जांच STF से कराने का निर्णय ले लिया गया। STF की टीमें जल्द ही चेन्नई, दिल्ली और मुंबई स्थित हलाल सर्टिफिकेट देने वाली कंपनियों की जांच करने भेजी जाएंगी।
गतिविधियों के लिए, खाद-पानी तो मुहैया नहीं कराया जा रहा
साथ ही कंपनी, उसके प्रबंध तंत्र और कर्मचारियों के बैंक खातों की भी, गहनता से पड़ताल होगी। इसके जरिए पता लगाया जाएगा कि, देश में हजारों करोड़ रुपये के हलाल सर्टिफिकेशन के कारोबार के जरिए, आतंकी संगठनों को देश विरोधी गतिविधियों के लिए, खाद-पानी तो मुहैया नहीं कराया जा रहा है। हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराए गये मुकदमे में उल्लेख किया गया था कि, चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिंद हलाल, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र आदि द्वारा समुदाय विशेष के नाम पर, कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं।
कूटरचित प्रपत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा
इस तरह के उत्पाद बाजार में बहुतायत में उपलब्ध हैं, जो कि- जन आस्था के साथ खिलवाड़ है। इन कंपनियों द्वारा समुदाय विशेष को प्रभावित करने के लिए, कूटरचित प्रपत्रों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें सरकार के नाम का इस्तेमाल भी हो रहा है। ये कंपनियां बिना मानक पूरा किए, हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही हैं। जो कंपनियां उनसे प्रमाण पत्र नहीं लेती हैं, उनके उत्पाद की बिक्री को घटाने के लिए, आपराधिक कृत्य कर रही हैं।
देश को कमजोर करने की साजिश
FIR के मुताबिक, आम नागरिकों के लिए प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं पर भी हलाल सर्टिफिकेट जारी कर, कंपनियों द्वारा अनुचित आर्थिक लाभ लिया जा रहा है। कंपनियों द्वारा समाज में वर्ग विद्वेष फैलाने, जनमानस में विभेद कराकर देश को कमजोर करने की सुनियोजित साजिश रची जा रही है। इसमें कंपनियों के मालिक, प्रबंधक के अलावा अन्य लोगों की भी सहभागिता है। इसमें राष्ट्र विरोधी साजिश करने वाले लोग भी शामिल हैं। उनके द्वारा आपराधिक कृत्य के जरिए, करोड़ों रुपये का अनुचित लाभ कमाकर, उससे अधिसूचित आतंकवादी संगठनों व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले संगठनों को फंडिंग करने की भी आशंका है।