नई दिल्ली (भारत). आंध्र प्रदेश को पुनर्गठन करने के लिए मामले का कानून 1 मार्च 2014 को अस्तित्व में आया हुआ था। इसमें यह बताया गया था कि हैदराबाद 10 वर्ष से अधिक समय के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश दोनों के लिए सामान्य रूप से राजधानी बना रहेगा। इस कानून के अंतर्गत 2 जून 2024 से अब हैदराबाद सिर्फ तेलंगाना की राजधानी बचेगा। आंध्र प्रदेश की नहीं रहेगा।
आंध्र प्रदेश की राजधानी अब हैदराबाद नहीं रहेगी, सिर्फ तेलंगाना की रहेगी
आंध्र प्रदेश की राजधानी और इसकी भौगोलिक स्थिति के लिए विभाजन के 10 सालों के बाद भी यह मामला सफल नहीं हो पाया है। इसका कारण यह है कि हैदराबाद 2 जून से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के संयुक्त राजधानी नहीं बचेगी, सिर्फ तेलंगाना की ही राजधानी रहेगी। इसी के साथ ही 1.4 लाख सार्वजनिक संपत्ति के बंटवारे में भी मामला सफल नहीं हो पाया है। आंध्र प्रदेश की राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने मुद्दों पर लटकी हुई हैं
तीन राजधानियां बनाने को लेकर प्रस्ताव
मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने तीन राजधानियां बनाने को लेकर प्रस्ताव दिया था, लेकिन पूर्ववर्ती के अमरावती को राजधानी बनाने के सपने को स्वीकार नहीं किया गया था। तीन राजधानी शहरों के प्रस्ताव से लेकर संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित भी है। अमरावती को विधायी, कुरनूल को न्यायिक और विशाखापटनम को कार्यकारी राजधानी के रूप में बनाने का प्रस्ताव सामने रखा गया था।