लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश, धर्म, और संस्कृति के लिए सर्वस्व अर्पित करने वाले सिख पंथ को नए भारत के लिए महान प्रेरणा कहा है। पवित्र साहिबजादा दिवस के अवसर पर अनेक ऐतिहासिक प्रसंगों के हवाले से सीएम ने कहा कि भारत को इस्लाम में बदलने की मंशा से जो भी आतताई आए थे, आज उनका नाम-ओ-निशान मिट गया है। यह सिख गुरुओं की दिव्य परंपरा ही थी, जिसने विदेशी आतताइयों की सनातन धर्म विरोधी मंशा को कभी सफल नहीं होने दिया। सीएम ने कहा कि गुरुनानक देव से गुरु गोबिंद सिंह तक सिख गुरु परंपरा भक्ति से शक्ति तक की अद्भुत परंपरा है। यह दिव्य परंपरा हिंदुस्तान को बचाने आई थी।
Yogi Adityanath ने लखनऊ के मुख्यमंत्री आवास में गुरु गोविंद सिंह के चार पुत्रों एवं माता गुजरी देवी की शहादत को समर्पित ‘साहिबजादा दिवस’ का आयोजन किया गया था। विशेष अवसर पर मुख्यमंत्री ने बलिदानी साहिबजादों के वेश में सज्जित बच्चों का अभिनन्दन भी किया तो संगत के साथ गुरुबानी भी सुनी।
इस मौके पर संगत को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बाबर से लेकर औरंगजेब शासनकाल की अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का उदाहरण रखते हुए कहा कि जब बाबर के हमले भारत में हो रहे थे, आतताइयों ने पूरे हिंदुस्तान को इस्लाम में बदलने और भारत को गुलाम बनाने की कोशिश की, लेकिन उनकी मंशा को सिख गुरुओं ने पूरा नहीं होने दिया। कौन नहीं जानता कि जब औरंगजेब के सिपहसालार ने गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया था, लेकिन साहिबजादों ने दीवार में चुनना पसंद किया, धर्म व देश की रक्षा के लिए बलिदान होना स्वीकार किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश-दुनिया में सिख पंथ अपने पुरुषार्थ के लिए जाना जाता है।
कश्मीर से हिन्दूओं को भगाने वाले लोगों को दुनिया में हर कोई जनता है
कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं व कश्मीरी पंडितों को भगाने वाले कौन थे, यह सर्वविदित है। गुलाम देश में कश्मीरी पंडितों की रक्षा करने वाले गुरु तेग बहादुर जी महाराज थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश का इतिहास साक्षी है कि एक तरफ औरंगजेब श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का मंदिर तोड़ता है तो दूसरी तरफ महाराजा रणजीत सिंह विश्वनाथ मंदिर को स्वर्ण मंडित करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने इतिहास को विस्मृत करके कोई भी अपने उज्जवल भविष्य को आगे नहीं बढ़ा सकता। इसीलिए हमें यह तय करना होगा कि हमें औरंगजेब का सम्मान करना है या महाराजा रणजीत सिंह जी का।