
नई दिल्ली (भारत). मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अरेस्ट होने के बाद से आम आदमी पार्टी नया कहा है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जेल से ही अपने कामों का संचालन करेंगे। इसलिए यह बड़ा सवाल उठता है कि क्या वे जेल में मुख्यमंत्री बने रहेंगे। ऐसे में सरकार सामान्य तरीके से चला सकेंगे। कानूनी जानकारों के अनुसार अरविंद केजरीवाल आरोपी ठहराए जाने के बाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं है।
यह सब आसान नहीं
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार, योगिता प्रावधानों की रूपरेखा देता है। इसलिए पद से हटाने के लिए दोषसिद्धि आवश्यक है। यह एक मौजूदा मुख्यमंत्री के लिए इस्तीफा नैतिक विकल्प हो सकता है। मुख्यमंत्री कुछ अनुमतियों के साथ जेल से शासन कर सकता है, जिसमें कैबिनेट बैठक आयोजित करना और जेल मैनुअल के अनुसार अदालत की मंजूरी के साथ फाइलों पर हस्ताक्षर करना लेकिन यह सब आसान नहीं है।
2 बार ही जेल में मिलने का होता समय
तिहाड़ जेल के पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता के अनुसार जेल से सरकार चलाना आसान नहीं है। जेल के नियमों के अनुसार, कैदी को हफ्ते में सिर्फ दो बार ही घर वालों या दोस्तों से या अन्य किसी से मिलने का समय मिलता है, जिसमें हर मुलाकात का आधे घंटे का समय निश्चित होता है। इसलिए अरविंद केजरीवाल को सरकार चलाने आसान नहीं होगा।
किसी जगह को जेल घोषित
जेल के नियमों के अनुसार किसी जगह को जेल घोषित किया जा सकता है। यानी कि किसी भी घर को भी जेल बनाया जा सकता है। हाउस अरेस्ट एक का एक उदाहरण है यह पावर एडमिनिस्ट्रेटर यानी की एलजी के पास होता है। किसी इमारत या भवन को जेल घोषित कर दिया जाए तो इस स्थिति में अरविंद केजरीवाल बिना किसी रूकावट के साथ सरकार चला सकते हैं।