नई दिल्ली (भारत). सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि यह योजना नागरिकों के सूचना का अधिकार योजना का उल्लंघन करता है, इसलिए इस पर रोंक लगा दी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर इसलिए लगाई रोंक
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में बांड योजना पर रोंक लगाने का ऐलान कर दिया है। कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इस फैसले को सुनाते हुए बताया कि यह असंवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि चुनावी बांड से जुड़ी हुई सारी महत्वपूर्ण जानकारी उसे मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड स्कीम को संविधान के खिलाफ बताया है। कोर्ट ने कहा कि यह योजना नागरिकों के सूचनाओं के अधिकार योजना का उल्लंघन करती है। यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19-1A के अंतर्गत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करती है।
सभी राजनीतिक चंदे सरकारी नीतियों को बदलने के लिए नहीं किए जाते हैं। कई बार छात्र, दिहाड़ी कमाने वाले भी इसमें योगदान देते हैं। कुछ राजनीतिक योगदानों को सिर्फ इसलिए निजता के बारे में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि वह दूसरे मक़सदों के लिए बनाए गए हैं। इसलिए यह स्वीकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि किसी व्यक्ति के योगदान के मुकाबले किसी कंपनी के चंदे का राजनीतिक प्रक्रिया में बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। इसलिए कंपनी द्वारा इस तरह के योगदान पूर्ण रूप से व्यापारिक लेनदेन की तरह है। इसलिए यह किसी व्यक्ति और कंपनियों के चंदे को एक जैसा मापने के लिए कंपनीज एक्ट की धारा 182 में संशोधन में स्पष्ट रूप से मनमाना है।
दिए यह निर्देश
कोर्ट ने स्टेट बैंक आफ इंडिया को यह निर्देश दिया कि वह चुनावी बांड को जारी करना बंद कर दे। चुनावी बांड के जरिए दी गई दान राशि की सारी जानकारी उसे दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को या निर्देश दिया कि 18 अप्रैल 2019 से लेकर अब तक की चुनावी बांड से जुड़ी सारी विस्तृत जानकारी उसे दी जाए।
कोर्ट ने कहा के कि राजनीतिक दल को कितना चंदा मिला इससे जुड़ी सभी जानकारियां उसे दी जाए।