संसद : राष्ट्रपति के संसद संबोधन में शामिल नहीं विपक्ष, मुइज्जू की भारत पर विरोधी निति है नाराज
डेमोक्रेट्स ने यह बताया कि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले तीनों कैबिनेट मंत्रियों की पुनरयुक्ति की वजह से वह दूर हो गए हैं।


मालदीव : भारत के खिलाफ अमर्यादित व्यव्हार करने के कारण मालदीव में राजनितिक खींचतान जारी है। मालदीव की दो मुख्य विपक्षी पार्टियों मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी और डेमोक्रेट पार्टी ने राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू के संसद में संबोधन में शामिल न होने का ऐलान कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार इस फैसले की पुष्टि की गई है। हाल ही में मौजूद के फैसले के कारण भारतीय सैनिकों को बाहर निकाला था, जिसके चलते दोनों देशों के बीच तनाव जारी है। विपक्षी पार्टियाँ मुइज्जू का विरोध जता रही हैं।
मुइज्जू सरकार की विदेश नीति पर हैं यह सवाल
मालदीव की मीडिया के अनुसार, डेमोक्रेट्स ने यह बताया कि भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले तीनों कैबिनेट मंत्रियों की पुनरयुक्ति की वजह से वह दूर हो गए हैं। एमडीपी की कार्यक्रम में शामिल न होने का अभी कोई कारण सामने नहीं आया है। एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने हाल ही में एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने यह बताया था कि वर्तमान सरकार की विदेश नीति पर सवाल खड़े किए गए हैं। उन्हें दीर्घकालिक विकास के लिए बहुत ही हानिकारक बताया गया है। इस बात पर जोर दिया कि मालदीव की स्थिरता और सुरक्षा के लिए हिंद महासागर में सुरक्षा व्यवस्था महत्वपूर्ण है।
मोजो का पहला संसद सत्र संबोधन
आज सोमवार के दिन सुबह 9:00 बजे मालदीप के राष्ट्रपति का संबोधन शुरू हो चुका है। इस साल के पहले कार्यक्रम को वह पहले संसद सत्र में संबोधन देंगे, जिसमें वह देश की स्थिति की रूपरेखा और सुधार कार्यवाही सहित अन्य आवश्यक मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
दोनों देशों के बीच क्या है विवाद?
सितंबर 2023 में मालदीव में हुए आम चुनाव के समय में मौजूदों की पार्टी ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चुनाव के दौरान इंडिया आउट अभियान शुरू किया था। मुइज्जू ने चुनाव में ‘इंडिया आउट’ लिखी हुई टी-शर्ट पहनकर चुनाव प्रचार किया था। चीन समर्थक मूवी जो ने पदभार लेने के बाद आधिकारिक तौर पर भारत को यह कहा कि वह अपने सैनिकों को वापस बुला लें। इसके पहले उन्होंने यह कहा था कि मालदीव को धमकाने के लिए किसी देश के पास अधिकार नहीं है।
