नई दिल्ली (भारत). पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय खेलों की पिछले 1 दशकों से मेजबानी नहीं मिलने से पाकिस्तान खेल जगत को बहुत नुकसान हुआ है। अब पाकिस्तान को यहां उम्मीद है कि भारतीय डेविस कप टीम के इस ऐतिहासिक मुकाबले के कारण देश में खेलों को अधिक बढ़ावा मिल जाएगा और देखने वालों में भी रुचि जागेगी। 1964 में भारतीय डेविस कप टीम पाकिस्तान में खेलने के लिए आई थी। अखिल भारतीय टेनिस संघ इस साल भी अपनी टीम भेजना नहीं चाहता था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय आईटीएफ ने उसकी इस अपील को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के लिए पाकिस्तान में सुरक्षा संबंधी से कोई भी मसला नहीं होना चाहिए। सभी जरूरी सुरक्षा व्यवस्थाएं होनी चाहिए।
पाकिस्तान में खेलों की ऐसी है स्थिति
लाहौर मैं 2009 में जब श्रीलंका की टीम आई थी तो उसके ऊपर हमले हुए थे, जिसके कारण से पाकिस्तान में खेल गतिविधियां रुक गई थी। उसके बाद से पाकिस्तान को टूर्नामेंट की मेजबानी में विश्वस्तरीय दिशा भी नहीं मिल रही है। पाकिस्तानी टेनिस महासंघ जूनियर आईटीएफ या सीनियर पुरुष फ्यूचर्स टूर्नामेंट की भी मेजबानी नहीं कर पाया है। महिला टीम का भी कोई टूर्नामेंट नहीं हो पाया है। 2017 के बाद से डेविस कप टीम भी यहां पर नहीं आ पाई हैं।
ऐतिहासिक मुकाबला होगा
पाकिस्तान के असम उल हक कुरैशी और अकील खान जैसे पाकिस्तान के शीर्ष खिलाड़ी इस मुकाबले को देखने के लिए काफी उत्साहित हैं। इस खेल के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के भी पाकिस्तान जाने का रास्ता खुल जाएगा। एसाम ने कहा कि हम काफी उत्साहित और प्रसन्न हैं। हम सभी को खेल जगत को राजनीति, धर्म और संस्कृति से अलग रखना चाहिए। यह एक ऐतिहासिक मुकाबला होने वाला है। इस खेल से पाकिस्तान में टेनिस को बढ़ावा मिल जाएगा। खेल को लेकर यहां पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
भारत से खेलने की बात ही अलग
अकील खान ने कहा कि मुकाबला बाकी लोगों की तुलना में बहुत ही अलग होगा। हम जापान और उज्बेकिस्तान जैसी सर्वश्रेष्ठ एशियाई टीमों में भी खेल चुके हैं, लेकिन भारत से खेलने की बात ही अलग है। भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी कुछ भी होता है, तो देखने वाले दर्शकों की रोज बढ़ जाती है। इसको लेकर प्रायोजक भी काफी उत्साहित हुए हैं। पाकिस्तानी टेनिस जगत को इससे बहुत ही बढ़ावा और फायदा मिलेगा।